मनमौजी परिंदे
आज़ाद परिंदे ने पंख फेलाए,
उद्द चला वो वहा जहा जी में आये,
कभी बादलो से ऊँचा कभी चारो दिशाए ,
उद्द चला वो वहा जहा जी में आये,
कभी डाल डाल बैठे, देखे आंखे बिछाए ,
ढूंढे कौन सा वो रास्ता जो घर लेके जाये,
कभी बारिशो से लड़ता, कभी ठंडी हवाए,
उद्द चला वो वहा जहा जी मे आये।